Saturday, August 28, 2021

the queen of electoral politics

If indian politics be a game of Carrom, state elections were the men,
 UP election is the queen. All players want to get hold of queen, the prized top award. So like in a game of Carrom, you may sacrifice some lesser valued carrom men for getting the queen, some player may seem losing but they must of doing with some bigger win in anticipation. You plan and play for the ultimate boost which can hardly come unless you get the queen.
Indian electoral politics may be a vast and complex subject, but for the enthusiastic students of Indian politics, UP election is nothing short of a crash course. Just observe the UP election closely, analyze players moves, try to anticipate/analyze/decipher/explain what leaders are saying/meaning to say/doing/not doing and you will see all tricks, some old, some new, some innovative, and some for the first time being used. After all the queen is at stake and all the strikers have been waiting for this moment only.

Dance of democracy and politics and strategy and dirty tricks is full on. You just need to pay attention to it and you will realise how superficial Game of thrones and House of cards were compared to the Uttar Pradesh politics..

Wednesday, August 18, 2021

लोकतंत्र एक जीवन मूल्य

लोकतंत्र एक शासन प्रणाली से ज्यादा एक जीवन मूल्य है। और मूल्य अमूर्त होते हैं। मूर्त चीजों जैसे चुनाव, सरकार, प्रधानमंत्री, संसद एक सब के होते हुए भी लोकतंत्र नहीं हो सकता है। पाकिस्तान हमारे सामने ऐसा ही एक उदाहरण है। कहने को वहां पर लोकतंत्र के समस्त किताबी गुण मौजूद हैं लेकिन लोकतंत्र अनुपस्थित है। मानो शरीर तो है लेकिन मृत। लोकतंत्र का जीवन मूल्य वहां के नागरिकों को अपने आप आत्मसात करना पड़ता है। लोकतंत्र सुलभ सहिष्णुता, दूसरों के अधिकारों का सम्मान और अपने कर्तव्यों के बोध के सम्मिश्रण से ही यह जीवन मूल्य धीरे धीरे पोषित होता है। इसी को लोकतंत्र की जड़ें गहरी होना कहा जाता है। संस्थाओं का सम्मान भी लोकतंत्र के इस मूल्य का एक अहम अंग है। 

कोई भी बाह्य शक्ति हथियारों के बल पर या जबरन चुनाव करवा कर कहीं भी लोकतंत्र स्थापित नहीं कर सकता। अगर ऐसा प्रयास किया भी जाए तो यह अस्थाई ही होगा। जैसे ही बंदूकों का आवरण हटेगा लोकतंत्र का शामियाना लोकतंत्र विरोधी हवाओं में उड़ जाएगा। जब तक जनता लोकतंत्र में विश्वास कर लोकतांत्रिक तरीकों से ही अपने भविष्य का निर्माण करने को कृतसंकल्प नहीं होती, लोकतंत्र की स्थापना का हर प्रयास अफगानिस्तान की तरह असफल होगा। 

यह मानना कठिन है कि बिना आम जनता के सहयोग के तालिबान की शक्ति और मनोबल न केवल बना रहा बाकी दो दशकों बाद यह अपने सार्वकालिक उच्चतम स्तर पर है। जब तक अफगानी जनता माध्यकालिक शासन प्रणालियों और उसके नव युगीन प्रवर्तकों का खुल कर विरोध नहीं करेगी, उनका प्रारब्ध कमोबेश यही रहेगा। हां स्थिति उतनी भी निराशापूर्ण नहीं है जितनी अभी दिखती है। तालिबान भले ही बंदूक से सत्ता पर काबिज हो जाएं , प्रशासन उनके बस का नहीं लगता। जनता की सामूहिक शक्ति और इच्छा शक्ति के आगे बड़े बड़े तानाशाह ध्वस्त हुए हैं। अरब स्प्रिंग उसका सबसे ताजा उदाहरण है।

आशा है कि अफगानी जनता में यह चेतना फैले और वो भी एक आधुनिक समाज की तरह अपने भविष्य निर्माण का बेड़ा स्वयं उठाए। बाहरी शक्तियों के भरोसे उनका कल्याण उतना ही कठिन है जितना कृत्रिम सांस देकर डोडो के जीवश्म को जिंदा करना।

Monday, August 16, 2021

काबुल में क्या गधे नहीं होते

हिंदी में एक कहावत है कि काबुल में क्या गधे नहीं होते। मतलब यह कि अच्छी से अच्छी चीज में कुछ न कुछ बुराइयां जरूर होती हैं। रवींद्र नाथ टैगोर की एक कालजयी कहानी है काबुलीवाला। जिसमें एक अफगानी अपनी बेटी के नन्हे पंजों की छाप उसकी निशानी के रूप में अपने साथ रख कर कलकत्ता की गलियों में सूखे मेवे बेचता है। भगवान बुद्ध की सबसे विशाल और अनुपम प्रतिमाएं बामियान में बनी और करीब दो हजार साल तक खड़ी रही।

जिस जगह की उपमा सबसे नायाब जगह से दी जाने वाले मुहावरे हों। जहां के लोग अपनी बेटियों को इतना प्यार करते हों और जहां पर कभी बुद्ध का इतना गहरा प्रभाव रहा हो, इस मुल्क से आने वाली खबरें पिछले पांच दशक के इतनी भयावह क्यों हैं? 

क्यों काबुल से भागने के लिए लोग हवाई जहाजों में लटक रहे हैं? आज काबुली वाला ऐसा कैसे हो गया कि अपनी बेटियों को सरेआम कोड़े से पीटने को धर्मसम्मत समझता है? और कैसे बुद्ध की धरती अपनों के खून से लाल हो गई है और उसी बुद्ध की प्रतिमाओं जिसे कम से कम एक विश्व धरोहर मान कर सहेजना चाहिए था, तबाह कर दी गई हैं?
संस्कृति और सभ्यता चिरकालिक नहीं होते, उनका जीवन किसी जीवित मनुष्य या पौधे की तरह ही पोषण, हवा और पानी की लगातार खुराक पर निर्भर करता है। अगर पोषण में कमी हुई या उसमें किसी ने जहर मिलाना शुरू किया तो पौधा हो या मनुष्य सूख जाता है। सभ्यता और संस्कृति में यह पोषण नए विचारों की खोज और प्रगतिशील विचारों को अपनाने से प्राप्त होता है। जिस दिन किसी में सभ्यता में यह खुराक मिलनी बंद हो जाती है, सभ्यता का वटवृक्ष सूखने लगता है। हरा भरा बरगद भी ठूंठ बन जाता है। 

यह भी सच्चाई है कि अफगान समस्या का उपरोक्त वर्णन एक अत्यंत ही सरलीकृत और उथला सा कारण प्रस्तुत करता है, लेकिन यह भी सच है कि अनेक बाह्य और बड़े कारणों के मूल में समाज का पार्श्वमुखी विचारों को अपनाना है। अफगान त्रासदी दुखद तो है ही लेकिन हरेक सभ्य समाज के लिए एक सबक भी है कि अपनी सभ्यता का निरंतर पोषण और उसकी अनवरत देखभाल करते रहें । वरना काबुल को जहन्नम बनने में देर नहीं लगती।

Saturday, August 7, 2021

The Neeraj Chopda Biopic

If bollywood makes a biopic on Neeraj Chopda..

1) His last attempt will be the best.. his first 2 and 4,5th attempt will be disqualified.

2) He will be having a break up before Olympics starts where his Girlfriend Jahnvi kapoor will have a misunderstanding and she will be rooting for him from India by watching finals on tv.

3) When Neeraj goes to the podium, romantic song with Jahanvi kappor will play in background.

4) After winning the medal, Neeraj Chopda will wink for his girlfriend and she will erupt in joy in india.

5) Pakistani player will be the one who will try to do some mischief night before the final play. And yes, he will have kohl eyes..

6) Neeraj's coach will be some Rahim chacha who will offer namaz at the stadium after Neeraj's first two throws are disqualified. After the namaz,Neeraj will finally hit the right mark.

7) IOC chief and Haryana sports minister will be the bad guy who will be making all attempts to send their son in place of Neeraj to the Olympics but Jahanvi and her girlfriend will seduce the corrupt official and exchange the files to enable Neeraj for the Olympics.

8) Just to Keep the creative freedom intact and take the liberties in story telling, Neeraj will be named Nadeem. Full name Arshad Nadeem.

#BollywoodPleaseDontMakeNeerajChipdaBiopic
#NowYouKnowTheStory