जब शेर पिंजड़े में होता है तो बच्चे भी सेल्फी खिंचवाने के लिए उसको मूंगफली मार कर जगाते हैं। और उनके अभिभावक भी बच्चों को मूंगफली खरीद खरीद कर देते हैं। एक बार पिंजड़ा खुल जाए तो न बच्चे दिखते हैं, न उनके अभिभावक और न मूँगफली बेचने वाले। दिखाई देता है सिर्फ शेर।
अगली बार बच्चे मूंगफली लेकर शेर को मारते दिखें तो समझ जाइये कि बच्चे, उनके माँ बाप और मूंगफली बेचने वाले खोमचे वाले तीनों आश्वस्त हो गए हैं कि पिंजड़ा बंद है। कायरों की जमात तब तक ही शोर मचाती है जब तक शेर खुला नहीं होता।
मैं भी किस माहौल में शेर , बच्चों और मूंगफली की बातें लेकर बैठ गया। चलो बताओ। पत्थर बाजी की खबर नहीं सुनी कई दिनों से। पत्थर खत्म हो गए या पत्थरबाज ??
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