Tuesday, January 29, 2019

सौन्दर्यजनित भाव

प्रेम का आधार सौंदर्य है। सौंदर्य की उर्वर भूमि से ही पोषण पा प्रेम की बेल लहलहाती है। सौंदर्य वह है जो आपको बिना कुछ दिए ही आपको वशीभूत कर ले। सौंदर्य का गुण बाकी सारे अवगुणों पर एक अपारगम्य अपारदर्शक आवरण का कार्य करता है। सौंदर्य एक सार्वभौमिक भाव नहीं है, यह पूरी तरह से वैयक्तिक भाव है। हर एक व्यक्ति के लिए सौंदर्य की अवधारणा और सौंन्दर्य का आधार अलग होगा। सौंदर्य और तर्क का मेल शायद ही होता है। तर्क के जोड़ घटाव से सौंदर्य की माया परे है। तर्क की सीमा जहाँ समाप्त होती है, सौंदर्य की परिसीमा का आरंभ वहीं से होता है। यही वह सौंदर्य है जिस के कारण एक श्याम वर्ण का चरवाहा गोपियों की हृदय में श्रीकृष्ण बन स्थापित होता है। यह सौन्दर्य ही है जो एक अन्वेषक के मन में शहर की सुख सुविधा छोड़ कर अमेज़न की घने वर्षावनों में सहर्ष जीवन व्यतीत करने की अभिलाषा उत्पन्न करता है। सौंदर्य आपको मोह पाश में स्वस्फूर्त बंधने को विवश करता है। यह मनोज सौंदर्य आपको निशस्त्र कर डालता है। आपकी सारी चपलता और चातुर्य धरी की धरी रह जाती है और आपकी समस्त मानसिक शक्तियों पर सौंदर्य का ही आधिपत्य सा हो जाता है। 


 
‌सौंदर्य का एक दूसरा पक्ष भी है। सौंदर्य की विषयवस्तु को अपने सौंदर्य का ज्ञान और इस सौंदर्य जनित प्रेम के वशीभूत दूसरे प्राणी की अवस्था का अहसास शायद ही होता है। दो व्यक्तियों या वस्तुओं में एक दूसरे में सौंदर्य एक समान दृष्टिगोचर हो संभव नहीं है। अगर सौंदर्य की भाव असमान है तो सौन्दर्य जनित अन्य भाव जैसे प्रेम , मोह और आकर्षण असमान ही होगा। यह भी संभव है कि आपके आकर्षण के केन्द्रबिन्दु को आपके हृदय में सौन्दर्यजनित भाव का न ही पता हो न कोई खास मोल।  जैसा कि पहले की कहा गया है कि सौंदर्य तर्क की सीमा से परे है। अपने सौन्दर्य पूरित प्रियवस्तु से बदले में कुछ पाने की लालसा वेदना का कारण बनती है। सौंदर्य की लौ जब तक निराशा के तम का विनाश कर आपमें उत्साह और जीवन ऊर्जा का संचार करे वांछनीय है। यही लौ जब हृदय में कुछ पाने की लिप्सा बन सुलगती है तो विरह का ताप बन जाती है। राम का सौंदर्य आपको सुख दे सकता है अगर आप शबरी हैं। शूर्पणखा भांति अपने सौंदर्य के केंद्र पर अधिकार की चेष्टा अपने दुःख को आमंत्रण देना है।

‌सौंदर्य आपके मन जनित है, इसे विश्व की वास्तविकता न समझिए। वरना वास्तविकता का पिघला लावा सौंदर्य के कोमल तंतुओं को भस्मीभूत कर डालता है।

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