और यह क्या कि हमारे एजेंट के पास इतने भी पैसे नहीं कि एक मोटर साइकिल भी उसको वहां के डॉन से लेनी पड़े। एक प्राइवेट जेट या कोई हेलीकॉप्टर दिल देते तो आराम से हमारे हीरो एजेंट की एंट्री बढ़िया होती और दूसरा हीरोइन को पटाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता, फिल्म भी आधे घंटे छोटी हो जाती।
कैरेक्टर्स की बैकग्राउंड स्टोरी बिल्कुल भी नहीं दिखाई। कसाब के परिवार वाले कितने गरीब थे, उसकी बहनों को कश्मीर में भारतीय सैनिकों ने छेड़ा था , isi चीफ विराट कोहली का फैन था, और रहमान डकैत के दादा गांधी जी के साथ दांडी मार्च में चले थे। हजारों तरीके थे कहानी को बेहतर बनाने के और थोड़ा डीप कैरेक्टराइजेशन के। पता नहीं किस से सीखा है कहानी लिखना।
थोड़े कॉमेडी सीन्स भी डालो फिल्म में भाई आदित्य धर। कॉमेडी कैसे करनी है , जोक्स कैसे होने चाहिए, हमारे मॉडर्न ऋषिकेश मुखर्जी उर्फ साजिद खान आज कल खाली ही बैठे हैं कम से कम उन्हीं से कुछ सीख लो।
सारा मजा किरकिरा कर दिया इस आदित्य धर ने। अच्छी बात है कि तुमने पार्ट 2 का स्कोप रखा है। फटाफट धुरंधर रिटर्न्स रिलीज़ करो और जो भी गलती इस पार्ट में की है उसको सुधारों। फिर हम् लोग थोडा अमन के साथ देख पायेंगे यही आशा है ।
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