Saturday, September 15, 2018

सिन्धु घाटी की सभ्यता

जब कभी भी सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में पढ़ता हूँ, गौरवान्वित महसूस करता हूँ। क्या हुआ होता अगर यह सभ्यता विलुप्त न होती। मानव सभ्यता आज कम से कम 1000 साल आगे होती। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगर नष्ट होने से और वापस महाजनपदों के शहर जैसे पाटलिपुत्र और राजगृह के बसने के बीच करीब 2000 साल का अंतराल है। मोहन जोदड़ो जैसे शहरी व्यवस्था को खोने के बाद मानव को बीस शताब्दी लग गए वैसे नगर दुबारा बसाने में। आपको अचरज होगा कि जल निकास की व्यवस्था में मोहनजोदड़ो का शहर गुडगांव और मुम्बई जैसे आधुनिक शहरों से बेहतर प्रतीत होता है। इन शहरों का भवन निर्माण पकी हुई ईंटों से हुआ है और हम 50 दशकों बाद 2022 तक सबको पक्के मकान देने के लक्ष्य से जूझ रहे हैं। इन शहर का निर्माणकाल गीज़ा के पिरामिडों के समकालीन है। अर्थात ईसा से 3 हज़ार वर्ष पूर्व शहर निर्माण और अभियांत्रिकी का इतना उन्नत विकास हो चुका था पर दुर्भाग्य से यह ज्ञान आने वाली पीढ़ियों को न मिल सका। उनका यह ज्ञान आज भी एक अबूझ भाषा में लिपिबद्ध है। 10 सेंटीमीटर लंबी कांसे की नर्तकी की प्रतिमा को देखिये। खड़े होने की भंगिमा, चेहरे के भाव, शरीर पर आभूषण और विभिन्न अंगों का समानुपातिक गढ़ाव। हमारे पूर्वज धातुओं की उपयोगिता से एक कदम आगे निकल कला और सौंदर्य तक पहुंचे थे। जितने भी साक्ष्य मिले है, प्रतीत होता है कि समाज मातृ सत्तात्मक था। एक स्त्री के गर्भ से निकलती पौधे का चित्र प्राप्त हुआ है जिसे उर्वरता की देवी कहा जा रहा है। शायद स्त्री के सम्मान और उनके अधिकारों को देने में भी हमारा आधुनिक समाज आज भी पीछे है।अगर खेल के मैदान और वृहद स्नानागार मिले हैं, तो लिपिस्टिक और मनके के कारखाने का भी अस्तित्व मिला है। वो जल संरक्षण के भी ज्ञाता थे और व्यापार के लिए पत्तन भी बना सकते थे। जनतंत्र, दाशमिक प्रणाली, गणित, मौसम विज्ञान और नाप तौल जैसे आधुनिक सिद्धांत वो खोज चुके थे और उनका प्रयोग कर रहे थे। जरूर उन्होंने अपने शहर के नाम कुछ सोच कर अच्छे ही रखे होंगे। काश उनकी लिपि हम पढ़ पाते तो शायद ऐसे भव्य शहरों को मुर्दों के टीले (मोहनजोदड़ो) ना कहते।


निश्चय ही उनकी सभ्यता कहीं ज्यादा विकसित रही होगी क्योंकि उनके बारे में हमारा ज्ञान तो सिर्फ साक्ष्यों पर और उनको समझ सकने की हमारी क्षमता पर आधारित है। आज़ादी के बाद हुए बंटवारे में अगर सबसे बड़ा नुकसान हुआ तो यह कि मानवता की यह अमूल्य धरोहर पाकिस्तान में चली गई। एक ऐसे देश में जो मुहम्मद बिन कासिम से पहले के अपने इतिहास को स्वीकारने में शर्म महसूस करता है। वहां इन धरोहरों की क्या देखभाल हो रही होगी, यह सोचना भी व्यर्थ है। डरता हूँ कि कहीं इनका हाल भी बामियान की तरह ना हो। हमें चाहिये कि हम अपने बच्चों को सिर्फ इतिहास के नीरस अध्याय की तरह यह चीज़े ना बतायें बल्कि उसे आधुनिक काल से जोड़ कर सुनाए।

Monday, September 3, 2018

Guess the German

A german who tried to impose his utopian idea on the world. His ideas caused sufferings and deaths to millions of civilians. Sometimes the effects were so drastic that it still shames the humanity. Unfortunate part is that there are  people who still believe in this false ideology and refuse to see and acknowledge the havoc it caused around the world. These remaining followers think themselves to be superior to those who challenge their ideas and methodologies and they often ridicule their opposition than counter them logically. I wish that this toxic philosophy dies the same painful death, which it awarded to humans across the globe.

That's all about Karl Marx. We will talk about Adolph Hitler some other time.


जन्माष्टमी के अवसर पर

क्रूर राजा के आठ बंद दरवाजों वाले कारावास में जन्म,  जन्म से पहले ही हत्या के पूरा प्रबंध, पूतना और कालिया द्वारा हत्या के प्रयास के बावजूद एक ग्वाले का दत्तक पुत्र अगर आगे चल कर भगवान बन सकता है, तो कोई वजह नहीं है कि आप अपनी क्षमताओं और संभावनाओं पर एक पल भी संदेह करें। भगवान श्रीकृष्ण का जीवन एक संदेश है कि आपकी शुरुआत और वर्तमान परिस्थितियों से आपके भविष्य का कोई भी अनुमान लगा कर निराश होने का कोई कारण नहीं है। अगर कृष्ण विषधर नाग के फन पर खड़े होकर भी वंशी बजा सकते है तो निश्चय ही आपके क्रंदन करने की वजह मामूली है। काले रंग के चरवाहे हो कर भी आप प्रियदर्शी और सर्वप्रिय हो सकते हैं। सार्वजनिक रूप से शिशुपाल द्वारा सौ बार अपमानित होने के बाद भी आपका आत्मसम्मान बना रहना चाहिये। निराशा और विपरीत परिस्थितियों के बीच भी अगर साहस और ज्ञान आपके साथ है तो संख्या बल में बीस गुना ज्यादा शत्रु पर भी आपकी विजय संभव है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं।। जय श्री कृष्ण।।